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Army ka phul phorm kya hota hai?

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 ARMY का फुल फॉर्म क्या होता है?


आपने आर्मी शब्द बहुत बार सुना होगा और इस शब्द को सुनते ही आप का सीना गर्व से चौड़ा भी हो जाता है । दरअसल इस शब्द में ऐसी ताकत है जो बेजान में भी ताकत भर देती है । लेकिन क्या आप आर्मी शब्द का मतलब जानते हैं, जाहिर है ज्यादातर लोग इस शब्द का फुल फॉर्म नहीं जानते होंगे । हमने और आपने इंडियन आर्मी के बारे में सुना है लेकिन लोग आर्मी शब्द का मतलब जानने की कोशिश नहीं करते हैं।

  ऐसे में आज हम इस खबर में आपको बताने बताने जा रहे हैं कि आखिर आर्मी का मतलब क्या होता है । दुनिया में जितने भी देश हैं उन सभी की अपनी सेनाएं होती हैं जिन्हें हम आर्मी कहते हैं । भारतीय सेना भी इन्हीं में से एक है जिसे हम इंडियन आर्मी कहते हैं, लेकिन क्या आपने सोचा है कि Army का मतलब क्या होता है । सेना को अंग्रेजी में Army कहते हैं और Army शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के Armata शब्द से हुई है जिसका अर्थ Armed Force होता है । यह ऐसी फौज होती है जो देश की रक्षा करती है ।

  Army का पूरा नाम Alert Regular Mobility Young है। इसका मतलब होता है कि युवाओं की ऐसी फौज जो हर हरकत पर नजर रखते हैं और जरूरत पड़ने पर उन्हें एक जगह से दूसरी जगह पर भी भेजा जा सकता है। ARMY हर देश का एक अहम अंग होता है क्योंकि मुश्किल समय में यही आर्मी देशवासियों को सुरक्षित रखने का काम करती है।

  आपको बता दें चीन दुनिया का ऐसा देश है जिसके पास सबसे बड़ी आर्मी है। चीन के पास 1,600,000 सक्रिय सैनिकों और 5,10,000 रिजर्व कर्मियों सैनिकों की विशाल फौज है। चीन के बाद दूसरा नंबर भारत का आता है क्योंकि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना भारत के पास है जिसमें 1,129,000 सक्रिय सैनिक तो वही 9,60,000 रिजर्व सैनिकों की फौज है। यह है आर्मी का पूरा नाम ।


ऊंट के कूबड़ में कितना पानी होता है?

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि ऊंट को रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है। इसका इस्तेमाल बोझ को ढोने के लिए और भी बहुत से कामों के लिए किया जाता है। या रेगिस्तान में करीब 7 दिन तक बिना पानी पिए रह सकता है।

ऊंट की ऊंचाई 1.85 मीटर और कूबड़ तक 2.15 मीटर होती है। ऊंट के शरीर के ऊपर 1 कूबड़ होता है। यह् एक बहुत ही दिलचस्प बात है ऐसा सुनने में आता है कि ऊंट के कूबड़ में पानी होता है।

बचपन से सुनते हैं कि ऊंट के कूबड़ में पानी भरा होता है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता रेगिस्तान में पानी के साथ भोजन भी दुर्लभ है इसलिए जब भोजन मिलता है तब ऊंट अपना "डायेट" छोड़कर कूबड़ में चर्बी जमा कर लेता है जो बाद में बिना भोजन वाली स्थिति में उनके लिए पोषण देता है.

जब काफी दिन बीत जाए तब उनका कूबड़ सामान्य होने लगता है। भले ही कूबड़ में पानी का संग्रह ना हो लेकिन ऊंट एक बार में करीब 100 से 150 लीटर तक पानी पी सकता है और बाद में कई दिनों तक बिना पानी के रह सकता है।

ऊंट अपनी अमाशय के थैली में भी पानी को इकट्ठा करके रखता है।

इसका भी इस्तेमाल या पानी की कमी को पूरा करने के लिए करता है। मैं आपको बता दूं ऊंट में कूबड़ पैदा होने के समय से नहीं होता बल्कि जैसे-जैसे उसका विकास होता है वैसे वैसे Post कूबड़ बढ़ता रहता है।

ऊंट को कभी भी पसीना नहीं आता क्योंकि इसकी चमड़ी मोटी होती है।



गरीब की लुगाई सब की भौजाई इस कहावत का क्या अर्थ है?


यहां भौजाई का मतलब भाभी से है

तो आते हैं कहावत पर- कि " गरीब की लुगाई सबकी भाभी होती है"

कहावत का सीधा सा अर्थ होता है कि गरीब निर्बल और सीधे-साधे आदमी का हर कोई फायदा उठाता है, उसका हर कोई इस्तेमाल करता है और प्राय: उसे हर जगह दबाया जाता है ।

अब मुझे यह नहीं पता कि यह प्रथा कब से और क्यों चली आ रही है और कब तक चलती रहेगी कि हमारे समाज में किसी बड़े आदमी की संस्कार हीन, चरित्रहीन, बीवी को कोई भाभी कहने की हिम्मत नहीं करता

वह सब बहन जी दीदी या मैम कह कर बुलाते हैं किंतु साधारण व्यक्ति की संस्कारवान, गुणवान, और चरित्रवान पत्नी को सब भाभी कहने में आनंदित महसूस करते हैं।

एक और उदाहरण पेश करना चाहूंगा - जब कोई जेबकतरा या कोई छोटा चोर चोरी करते पकड़ा जाता है तो पुलिस उसे मारते हुए थाने ले जाती है और उसे बिना उसकी मर्जी के बढ़िया सा कुटाई प्रोग्राम देती है लेकिन जब कोई बड़ा घोटालेबाज या करोड़ों की ठगी करने वाले ठगों को यही पुलिस पकड़ कर लाती है तो पुलिस वाले उन घोटालेबाजो और ठगों की इस कदर मेहमान नवाजी करती है जैसे उन्होंने घोटाला करके इस देश और जनता की सेवा कर दी है। इसीलिए तो कहा गया है कि गरीब की लुगाई, सब की भौजाई होती है।



कुछ जानवरों की आंखें रात में क्यों चमकती है?

क्या आप भी रात में कभी किसी जानवर के चमकती आंखों को देखकर डरे हैं। अगर जवाब 'हां' है तो जानिए कि ऐसा क्यों होता है...

क्या अपने रात में कभी काली बिल्ली देखी है?

अंधेरे में काली बिल्ली का शरीर तो दिखाई नहीं देता है लेकिन उसकी जुगनू-सी चमकती हुई आंखों को देखकर हर कोई पहली बार में तो डर ही जाता है. बिल्ली की तरह ही शेर, चीता, तेंदुआ समेत कई अन्य जानवरों की आंखें रात में चमकती है।

क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? जानवरों की आंखें चमकती है, उनकी आंखों में एक विशेष प्रकार के मणिभीए पदार्थ (Crystalline Substance) की पतली परत होती है. यह पतली परत आंखों पर पड़ने वाले प्रकाश को परावर्तित कर देती है. या ठीक उसी तरह की क्रिया है| जैसे किसी दर्पण पर सूर्य की किरण पड़ते ही चमकने लगती है।

वही बिल्ली की आंखों पर किए गए एक प्रयोग से पता चलता है कि उसकी आंखों के पर्दे के पीछे एक चमकदार पदार्थ की परत होती है जिसे ल्यूमिनियस टेपटम (Luminous Teptum) कहते हैं. इस परत के कारण बहुत कम रोशनी में भी बिल्ली आसानी से चीजों को देख लेती है। वे सभी जानवर जिनकी आंखे रात में चमकती है अंधेरे में भली-भांति देख सकते हैं, इसके अलावा एक और बात गौर करने लायक है कि जिन जानवरों की आंखें रात में चमकती है, उन सब की चमक का एक रंग है एक जैसा नहीं होता है, उनकी आंखों की चमक लाल रंग की होती है वह जिन जानवरों की आंखों में खून की नसें कम होती है उनकी आंखों की चमक सफेद या हल्का पीलापन लिए होती है।



रात में कपड़े धोकर बाहर क्यों नहीं सुखाने चाहिए?


रात को बुरी आत्माएं आसमान में भ्रमण करती हैं यह आत्माएं किसी वक्त हमारी तरह ही मनुष्य थी बुरे कर्मों की वजह से इन्हें प्रेत भूत चुड़ैल पिशाच की योनि मिलती है। इन योनि में जाने के बाद इनके अंदर भूख प्यास भावनाओं का सागर उमड़ता रहता है लेकिन उसे तृप्त करने के लिए शरीर नहीं रहता। इन आत्माओं के अंदर इतनी भूख रहती है कि सारे संसार का अनाज कम पड़ जाए इतने प्यासे रहते हैं कि सारे समुद्र का पानी पी जाएं।

इस तरह जब यह आत्माएं रात में विचरण करती हैं तब आंगन में डाले गए परिधानों को देखकर इनकी गति स्थिर हो जाती है। वे वस्त्रों के आसपास मंडराते हैं और यदि वह वस्त्र महिला का है तब उसी में समा जाते हैं सुबह जब कोई उस वस्तु को पहनता है बुरी आत्माएं उस पर अपना नकारात्मक प्रभाव डालने लगती हैं।

इसका मुख्य कारण यह है कि जब कपड़ों को सूरज की रोशनी में सुखाया जाता है तो उन कपड़ों में मौजूद कीटाणु और हानिकारक जीवाणु सूरज की रोशनी और गर्माहट में खत्म हो जाते हैं लेकिन जब हम रात में कपड़े सुखाते हैं कपड़े धीरे-धीरे सुख तो जाते हैं पर सूरज की रोशनी और गर्मी ना मिलने की वजह से कपड़ों में मौजूद हानिकारक कीटाणु खत्म नहीं हो पाते हैं जो हमारे शरीर में फंस जाते हैं और अनेक भयानक बीमारी को जन्म देते हैं।


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