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Kya jhooth bolane ke bhee phaayade ho sakate hain?

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 क्या झूठ बोलने के भी फायदे हो सकते हैं?

जी हां, फायदा होगा या नहीं यह निर्भर करता है कि झूठ किस लिए बोला जा रहा है अगर यह झूठ सच्चाई को बचाने के लिए बोला जा रहा है, फिर इसका फायदा है वरना तो बस नुकसान ही नुकसान है। कई लोगों की झूठ बोलने की आदत ही हो जाती है तो वहीं पर कई लोग मजबूरी या किसी परेशानी की वजह से झूठ बोलते हैं झूठ बोलने की बहुत सारी वजह हो सकती हैं। जिन्हें आसानी से जान पाना और समझना बहुत मुश्किल है। क्योंकि हर इंसान के पास झूठ बोलने की अपनी अलग अलग वजह होती है कभी कोई किसी के अच्छे के लिए झूठ बोलता है और उसके झूठ बोलने से यदि किसी का भला होता है या किसी का टूटा हुआ घर भर जाता है तो ऐसे में झूठ बोलने से कोई बुराई नहीं है, मगर किसी का दिल दुखा कर उसे धोखा देकर झूठ बोलना यह बहुत ही बुरी बात है। क्योंकि कोई भी इंसान जब एक झूठ बोलता है तो उसे उस झूठ को बचाने की वजह से 100 झूठ बोलने पड़ते हैं और फिर धीरे-धीरे वह अपने ही झूठ में फंसता चला जाता है।


मंदिरों के आगे भिखारी क्यों बैठते हैं?

भिखारियों के मंदिर के बाहर बैठने के पीछे मनोविज्ञान का एक बहुत गहरा रहस्य छुपा हुआ है भिखारी बहुत समझदार होते हैं वह इस बात को भली-भांति जानते हैं कि जो भी इंसान मंदिर आ रहा है वह परमात्मा से कुछ ना कुछ मांगने आ रहा है और इसी कारण वह परमात्मा के लिए कुछ भेंट लेकर आ रहा है परमात्मा को केवल धन्यवाद कहने के लिए मंदिर आने वाले बहुत कम होते हैं और जो ऐसे होते हैं वह भी धन्यवाद कहने के बाद शायद कोई ना कोई नई मांग अक्सर लेकर ही आते हैं‌। बस इंसान की इसी फितरत का फायदा उठाने के लिए भिखारी मंदिर के बाहर आकर बैठ जाते हैं। जैसे ही व्यक्ति मंदिर से बाहर आता है भिखारी उसे कहता है कि आप अगर मुझे कुछ देंगे तो परमात्मा आपकी इच्छा मांग अवश्य पूरी करेगा।

अभी-अभी परमात्मा से कुछ मांगने के बाद मंदिर से बाहर निकला आदमी आ जाता है भिखारी के झांसे में  आकर अपनी जेब ढीली कर देता है अब आप ही बताइए भीख पाने का इससे अच्छा स्थान और कौन सा मिलेगा भिखारियों को।


आजकल फलों के ऊपर स्टिकर क्यों चिपकाए होते हैं ?

फलों के ऊपर लगाए जाने वाले स्टीकर इन बातों को दर्शाते हैं कि फलों की क्वालिटी कैसी है और वह कौन से स्थान से आए हैं इसके साथ ही स्टिकर में इस बात का भी साइन होता है, कि उन फलों को उगाने के लिए रासायनिक बीजों का प्रयोग किया गया है। प्राकृतिक इन्हीं सारी चीजों को बताने के लिए फलों के ऊपर स्टीकर लगे होते हैं ताकि स्टीकर को देखकर आप लोग उस फल की गुणवत्ता जान सके।

लेकिन समस्या यह है कि अब यह स्टिकर मात्र दिखावा रह गए हैं। स्टीकर पर लिखी हुई बातों और फलों के गुणवत्ता का अब कोई संबंध नहीं रह गया है अब आपको या फलों में लगे हुए स्टीकर में उसके गुणवत्ता यह प्लस ही दिखेगी। यह व्यापारियों का अब पैसे कमाने का एक तरीका बन चुका है, ताकि फलों को ऊंची क्वालिटी का बताकर ग्राहकों से मोटी रकम वसूली जा सके।


लड़कियां शादी के बाद नखरे क्यों करती हैं?

इसका एक मनोवैज्ञानिक कारण यह है कि जब लड़की छोटी उम्र की होती है, तभी से उसे यह एहसास होता रहता है कि मां ने नखरे दिखाए और काम बन गया।

उस बात का उस पर पूरा असर होता है, दूसरा कारण यह है कि महिला यह चाहती है कि उसका पति छोटी सी बात के लिए भी उसे सलाह ले,

ऐसा ना होने पर उनका नखरा दिखाना तय है एक सच्चाई यह भी है कि नखरे केवल हुस्न और अदाओं वाली औरतों के लिए ही उठाए जाते हैं कारण कि पुरुष उन पर मोहित होते हैंहैं


क्या मृत्यु भी आने का संकेत देती है?

मनुष्य का जन्म 9 महीने तक माता के गर्भ में रहने के बाद होता है। ठीक इसी तरह मृत्यु आने से 9 महीने पहले ही कुछ ऐसी घटनाएं होने लगती हैं जो इस बात का संकेत देती हैं या संकेत इतने छोटे होते हैं कि हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में उन पर ध्यान नहीं देते, और जब मृत्यु एकदम करीब आ जाती है तो पता लगता है कि अब देर हो चुकी है। कई काम अधूरे रह गए हैं ऐसी स्थिति में अंतिम क्षण में मन भटकने लगता है, और मृत्यु के समय कष्ट की अनुभूति होती है पुराणों के अनुसार अगर मृत्यु के समय मन शांत और इच्छाओं से मुक्त हो। तो बिना कष्ट से प्राण शरीर त्याग देता है और ऐसे व्यक्ति की आत्मा को परलोक में सुख की अनुभूति होती है।

मृत्यु पूर्व जिस प्रकार के अनुभव और लक्षण प्रकट होने लगते हैं इसका उल्लेख कई ग्रंथों में किया गया है गरुड़ पुराण, अरुण संवाद, समुद्र शास्त्र एवं कापालिक संहिता के प्रमुख स्रोत माने जाते हैं।

इन ग्रंथों में बताया गया है कि मृत्यु का समय समीप आने पर व्यक्ति को कई ऐसे संकेत मिलने लगते हैं जिनसे आ जाना जा सकता है कि शरीर त्यागने का समय करीब आ गया है।

हमें जो सबसे प्रमुख लक्षण बताया गया है उसके अनुसार में मृत्यु के समीप आने पर व्यक्ति को अपनी नाक दिखाई देना बंद हो जाती है‌

समुंद्र शास्त्र कहता है कि जब मृत्यु करीब आ जाती है तो हथेली में मौजूद रेखाएं अस्पष्ट और इतनी हल्की हो जाती हैं। या ठीक से दिखाई भी नहीं देती है।

 ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस तरह घर में नए सदस्य के आने की खबर मिलने पर हम मनुष्य उत्साहित रहते हैं और उनके स्वागत की तैयारी करते हैं कुछ इसी तरह जब कोई व्यक्ति संसार को छोड़कर परलोक की यात्रा पर जाने वाला होता है तो परलोक गए उनके पूर्वज और आत्माएं उत्साहित रहते हैं और अपनी दुनिया में नए सदस्य के आने की खुशी में रहते हैं।

इसलिए मृत्यु के करीब पहुंच चुके व्यक्ति को अपने आसपास कुछ उपायों के मौजूद होने का एहसास होता रहता है ऐसे व्यक्तियों को अपने पूर्वज और कई मित्र  नजर आते रहते हैं।

जब व्यक्ति की आत्मा उसे छोड़कर जाने की तैयारी करने लगती है तो परछाई भी साथ छोड़ देती है ऐसा नहीं है कि वह समय व्यक्ति की परछाई नहीं बनती है परछाई तो उस समय भी बनती है लेकिन व्यक्ति की दृष्टि अपनी परछाई को देख नहीं पाती है क्योंकि आंखें परछाई देखने की ताकत खो देती हैं।


क्या गंजा होना बुरा होता है?

बिल्कुल बुरा नहीं है बस अपने देश में ही यह सब ड्रामे चलते हैं, यहां लोगों को उसके टैलेंट की जगह कपड़ों या रंग या शक्ल सूरत के आधार पर महत्व दिया जाता है अगर मेरी हाइट कम है, गंजा हुआ, काला हुआ तो लड़कियां भाव नहीं देती है मैंने कई सारे लोगों को देखा है जो गंजे हैं या या गंजे थे पर टैलेंट की कोई कमी नहीं थी मेंटली और फिजिकली बस लड़की पटाने या शादी के मामलों को छोड़ दें तो कोई गंजा है या नहीं है इसका घंटा फर्क नहीं पड़ता और वह भी अगर अच्छे जॉब में है तो लड़की भी मिल जाती है।


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