-->

Hindu dharm mein jalate hue laash ke shar ko dande se kyon phoda jaata hai?

Post a Comment

 हिंदू धर्म में जलती हुई लाश के शेर को डंडे से क्यों फोड़ा जाता है?

दरअसल मनुष्य की पूरी खोपड़ी सील पैक होती है जब शरीर जलने लगता है तो खोपड़ी के अंदर भरा पानी भी उबलने लगता है जिससे यह भाप में बदल जाता है। और खोपड़ी के अंदर का दबाव बढ़ जाता है। इसी बनी हुई भाप को आसानी से बाहर निकालने के लिए खोपड़ी को डंडे से तोड़ा जाता है, अगर ऐसा नहीं करें तो खोपड़ी एक तेज धमाके से फट जाएगी।

दरअसल एक दूसरी मान्यता यह भी है कि हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार यह माना जाता है कि जो जीव या आत्मा शरीर से निकलती है ऐसा करने से वह मोक्ष प्राप्त कर के जन्म और मृत्यु के चक्कर से मुक्त हो जाती है। इस विधि को कपाल मौसम भी कहा जाता है।

एक तर्क यह भी दिया जाता है कि खोपड़ी को तोड़ना जरूरी होता है, क्योंकि जो तंत्र विद्या करने वाले लोग होते हैं। वह इस खोपड़ी को उठाकर इसका दुरुपयोग ना करें।


साबुन का झाग सफेद ही क्यों होता है?

इसे जानने के लिए आपको अपनी स्कूल की पढ़ाई में जाना होगा जहां बताया जाता है कि किसी वस्तु का अपना कोई रंग नहीं होता है। वस्तु पर जब भी प्रकाश के किरणे पड़ती है तो वह बाकी रंगों को अवशोषित कर जिस रंग को परावर्तित करती है वह उसी रंग की ही दिखाई देती है‌। जब कोई वस्तु प्रकाश की सभी किरणों को अवशोषित कर लेती है‌। तो वह काली दिखाई देती है जबकि अगर कोई वस्तु सभी रंगों को उत्सर्जित कर देती है तो वह सफेद दिखाई देती है।

साबुन, शैंपू और डिटर्जेंट के झाग पर यही नियम लागू होता है क्योंकि साबुन का झाग कोई ठोस पदार्थ नहीं है इस वजह से यह प्रकाश की किरणों को अवशोषित नहीं करता हैहै।



शव पानी पर क्यों तैरता है?

वैज्ञानिक आर्कमिडीज के सिद्धांत के अनुसार कोई वस्तु पानी में तब तक नहीं डूब जाती है, जब तक वह अपने भार के बराबर पानी नहीं हटा पाती और उस वस्तु के द्वारा हटाये हुए पानी का भार कम हो तो वस्तु पानी में तैरती रहती है‌‌। जब कोई व्यक्ति मर जाता है तो उसके शरीर में एंजाइम की क्रिया शुरू हो जाती है। इस क्रिया के कारण शरीर फूल जाता है जो अपने भार के बराबर पानी नहीं हटा पाता और यही है है कि शव पानी पर तैरता रहता है‌


मिर्ची खाने के बाद हमारे शरीर में जलन क्यों होती है?

आपने देखा ही होगा जब हम कभी देखा भोजन कर लेते हैं, तो हमारे मुख में जलने जैसी प्रक्रिया होती है पर क्या आपने कभी सोचा है कि हमें मिर्च खाने से ही क्यों जलन होती है।

दरअसल दोस्तों मिर्च में कैप साइन नामक रसायन होता है तो जब हम कभी तीखा या अधिक मिर्च डाला हुआ भोजन कर लेते हैं तो यह रसायन हमारी जीभ की कोशिकाओं में उपस्थित रसायन से प्रतिक्रिया करता है, और हमारे जीवन में जीभ में उपस्थित रसायन हमारे मस्तिष्क को संदेश भेजता है, और अगर मिर्च और अधिक होती है तो हमारा मस्तिष्क हमारी जीभ को संदेश भेज देता है कि हम उस वस्तु का सेवन ना करें यही कारण है कि मिर्च खाने के बाद हमारे शरीर में जलन हो जाती है।


हवन करते समय स्वाहा क्यों बोला जाता है?

हिंदू धर्म में कोई भी मांगलिक कार्य बिना हवन के पूर्ण नहीं होता है। कहते हैं कि हवन के माध्यम से मनुष्य अपनी आहुति देवता तक पहुंचा सकता है। शास्त्रों के अनुसार हवन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है कई जगह तो हवन को शुद्धिकरण का सबसे अच्छा तरीका भी माना गया है।

पर क्या आपने कभी सोचा है कि हम उनके समय आहुति देते वक्त हम स्वाहा क्यों कहते हैं? हम आपको बताएंगे कि किस पौराणिक कथा के अनुसार स्वाहा शब्द का उच्चारण हवन मैं आहुति के वक्त किया जाता है शास्त्रों के अनुसार हवन सामग्री को देवताओं तक पहुंचाने के लिए स्वाहा शब्द का इस्तेमाल किया जाता है पर अब सवाल यह उठता है कि स्वाहा कहने से कैसे हवन सामग्री देवताओं तक पहुंच जाती है शास्त्रों में अग्नि को सबसे पवित्र माना गया है अतः हवन सामग्री को देवताओं तक पहुंचाने का सबसे अच्छा मार्ग अग्नि में इसकी आहुति देना है पर जिस प्रकार से हिंदू सनातन धर्म में हर चीज जोड़े से आती है उसी प्रकार हवन में अग्नि के साथ स्वाहा शब्द का उच्चारण किया जाता है।

स्वाहा शब्द प्रकृति में विद्यान शक्तियों का एक प्रतीक है मान्यताओं के अनुसार स्वाहा शब्द प्रकृति का एक स्वरूप है जिसका विवाह अग्नि के साथ देवताओं के आग्रह से संपन्न हुआ था भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं स्वाहा को वरदान देते हुए कहा था कि या केवल उसी के माध्यम से अब हविस ग्रहण करेंगे अन्यथा नहीं।

पौराणिक मान्यता है कि पूजा अनुष्ठान के अंत में अविवाहित देवताओं के प्रश्न का भोग उन्हें दिया जाए। इसलिए अग्नि में आहुति दी जाती है और स्वाहा का उच्चारण किया जाता है दरअसल कहानियों के अनुसार स्वाहा अग्नि देव की पत्नी है ऐसे में स्वाहा का उच्चारण कर हवन सामग्री का भोग अग्नि के माध्यम से देवता को पहुंचाते हैं।


Post a Comment

Subscribe Our Newsletter