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Sirf biyar peekar koi insaan kitane dinon tak jinda rah sakata hai?

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 सिर्फ बियर पीकर कोई इंसान कितने दिनों तक जिंदा रह सकता है?

दरअसल बियर प्रेमियों के मन में कई बार यह सवाल उठता है आखिर हम बियर पीकर कितने दिनों तक जीवित रह सकते हैं। असल में हमारे शरीर को रोजाना करीब 2000 कैलोरी की आवश्यकता होती है बियर के 100ml में 40 कैलोरी होती है यदि हम करीब 5-6 लीटर बीयर प्रतिदिन पीते हैं तो हम सामान्य जीवन के कामकाज आसानी से कर सकते हैं परंतु यदि हम सिर्फ बीयर का सेवन कर रहे हैं तो विटामिन सी की कमी के कारण दो-तीन महीने के भीतर हमें स्कर्वी रोग हो जाएगा, प्रोटीन की कमी के कारण धीरे-धीरे शरीर की मांसपेशियां टूटने लगेंगे, जिस कारण शरीर शिथिल हो जाएगा हमे कमजोरी सी महसूस होगी इसके अतिरिक्त बीयर रोज पीने से लीवर पर दबाव भी बढ़ेगा स्कर्वी रोग और लीवर पर बढ़ते दबाव के कारण धीरे-धीरे 6 महीने में ही हम मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे। 6 महीने से ज्यादा बियर पीकर जिंदा रहना संभव नहीं है।



इंसान के होठो पर पसीना क्यों नहीं आता है?

दरअसल होंठ हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो कि हमारे चेहरे के आकर्षण को बढ़ा देते हैं और खासतौर से लड़कियों के लिए अच्छे होठों का होना उनकी सुंदरता को और भी ज्यादा बढ़ा देता है। उनको कारण हमारी बाकी त्वचा से बिल्कुल अलग होता है‌, क्योंकि उनमें बाकी त्वचा के मुकाबले चमड़ी की परत काफी कम होती है। इसलिए हमारे होंठ गुलाबी रंग के होते हैं।

ऐसा कहा जाता है, कि जब शरीर में पानी की कमी हो जाती है तो उठो पर इसका असर जल्दी से धड़कने लगता है‌। दरअसल आपने अक्सर देखा होगा कि हमारे होठों में कभी भी पसीना नहीं आता है। क्या आपको इसके पीछे का कारण पता है? चलिए आज हम आपको बता देते हैं ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हमारी होठों के स्थान पर पसीनों को पैदा करने वाली ग्रंथियों या मांसपेशियां नहीं होती है जिसकी वजह से होठों पर पसीना नहीं आता है और दूसरे अंगों की अपेक्षा होठ जल्दी से सूख जाते हैं जैसे-जैसे इंसान की उम्र बढ़ने लगती है उनके होठ पहले से ज्यादा पतले होने लगते हैं, और होठों की खास बात यह भी है कि जिस तरह इंसान की फिंगरप्रिंट किसी से मैच नहीं खाते ठीक उसी प्रकार होठ के फिंगरप्रिंट भी एक दूसरे से मैच नहीं खाते हैं‌।



मुस्लिम औरतों को मस्जिद में जाना क्यों मना होता है?

दरअसल ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है कि औरतों का मस्जिद में जाना मना है‌। अब जब औरतों के अनुसार और शर्तों के अधीन कोई मस्जिद ही नहीं है तो औरतें मस्जिद में नमाज पढ़ने कैसे जाएंगी।

दरअसल औरत और मर्द एक मस्जिद में नमाज नहीं पढ़ सकते‌। क्योंकि पर्दा जरूरी है। जैसे औरतों और मर्दों के दरवाजा अलग-अलग हो, उनका नमाज पढ़ने का होल अलग-अलग हो, बेपर्दी नहीं होनी चाहिए।

हिंदुस्तान में जो मस्जिद है वह इस हिसाब से नहीं है। लेकिन अब बहुत सी मस्जिद है जैसे कि लखनऊ और मुंबई में ऐसी सहूलियत दी गई है। और औरतें जमात में नमाज भी अदा कर सकती हैं‌।



परछाई हमेशा काली ही क्यों होती है?

दरअसल जिसे हम काला रंग कहते हैं वह कोई रंग नहीं है।

किसी भी प्रकार के रंगों का अभाव है अतः रंग हीनता की स्थिति काला रंग होता है‌। जब किसी वस्तु से प्रकाश की किरणें टकराती है तब उस वक्त में मौजूद घटक उस रंगों को अवशोषित कर लेती है तथा कुछ रंगों को परावर्तित भी कर देती है वह जिस रंगों को परावर्तित करती है वस्तु उसी रंग की दिखाई देती है। किसी भी परछाई का होना वहां पर प्रकाश का अभाव होता है।

परछाई क्यो बनती है? जब रोशनी के मार्ग में कोई अवरोध उत्पन्न होता है यह अवरुद्ध प्रकाश के विपरीत दिशा पर रोशनी को पहुंचाने से रोकता है‌ जिससे वहां पर परछाई का निर्माण होता है जब उस परछाई वाले स्थान से किसी भी प्रकार का प्रकाश परावर्तित होकर हमारी आंखों तक नहीं पहुंचता है‌, इसलिए वह स्थल हमें काला दिखाई देता है।



सगाई की अंगूठी क्यों पहनाई जाती है?

दरअसल शादी से पहले की सबसे खास रस्म होती है सगाई। हिंदू धर्म के अनुसार सगाई वाले दिन वर-वधू एक दूसरे को बाएं हाथ की चौथी उंगली जिसे अनामिका उंगली भी कहा जाता है। उसमें अंगूठी पहनाते हैं सगाई की रस्म अंगूठी पहना कर ही संपन्न होती है अब हम आपको इसका वैज्ञानिक तर्क बताते हैं दरअसल शरीर विज्ञान के अनुसार बाएं हाथ की चौथी उंगली में एक ऐसी नस होती है जो सीधे दिल से जुड़ी होती है। इस अंगुली में अंगूठी पहनने पर उस नस पर दबाव पड़ता है, जिससे दिल का रक्त संचालन सुचारू रूप से होता है। और दिल मजबूत हो जाता है, तथा अंगूठी पहनाने वाले की याद दिल में हमेशा रहती है। और उसके लिए प्यार भी बना रहता है।


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